RSS के चीफ़ मोहन भागवत का आया बड़ा बयान, “मंदिर मस्जित विवाद को लेकर कोई नेता नहीं बन सकता”
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Mohan Bhagwat: मोहन भागवत काफी चर्चित और प्रचलित नाम है जो लगभग सभी ने सुना होगा। जो नहीं जानते उन्हें बता दे की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ़ हैं मोहन भागवत। जिनके बयान अक्सर लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। हाल ही में मोहन भागवत जी का एक और बयान सामने आया है जिसके तहत उन्होंने कहा कि मंदिर मस्जिद के रोज नए विवाद निकालकर कोई नेता बनना चाहता है तो ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें दुनिया को दिखाना है, कि हम एक साथ रह सकते हैं। उनके इस बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि उनका सीधा निशाना उनके ही नक्शे कदम पर चलने वाली बीजेपी पर था।
कौन है मोहन भागवत?
मोहन राव मधुकर राव भागवत का जन्म महाराष्ट्र के चंद्रपुर नामक एक छोटे से नगर में 11 सितंबर 1950 को हुआ था। विश्व संघ कार्यकर्ताओं के परिवार से हैं उनके पिता मधुकर राव भागवत चंद्रपुर क्षेत्र के प्रमुख थे, जिन्होंने गुजरात के प्रांत प्रचारक के रूप में कार्य किया था। आपातकाल के दौरान भूमिगत रूप से कार्य करने के बाद 1977 में भागवत महाराष्ट्र के अकोला के प्रचारक बने और संगठन में आगे बढ़ते हुए नागपुर और विदर्भ क्षेत्र के प्रचारक भी रहे। तो वहीं 1991 मेंराष्ट्रीय संयुक्त संघ के स्वयंसेवकों के शारीरिक प्रशिक्षक कार्यक्रम में अखिल भारतीय प्रमुख बने और उन्होंने 1999 तक इस दायित्व का निर्वाह किया। उन्होंने अपना सारा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए अर्पित कर दिया आपको बता दें कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरु भी है, जिनके नक्शों कम में आज प्रधानमंत्री मोदी भारत की बागडोर संभाले हैं।
क्या कहा भागवत जी ने
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन के दौरान कहा कि मंदिर मस्जिद के रोज नए विवाद निकालकर कोई नेता बनना चाहता है तो ऐसा नहीं होना चाहिए हमें दुनिया को दिखाना है कि हम एक साथ रह सकते हैं इसके अलावा भी भागवत जी ने कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी। आपको बता दें कि मोहन भागवत के भाषण की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इस वक्त देश में संभल, मथुरा, काशी जैसे कई जगह में मस्जिदों के प्राचीन समय में मंदिर होने के दावे किए गए हैं, इनके सर्वे की मांग हो रही है और कुछ मामले अदालत में लंबित है। मोहन भागवत जी ने कहा कि हमारे यहां हमारी ही बातें सही बाकी सब गलत यह चलेगा नहीं अलग-अलग मुद्दे रहे तब भी हम एक मिलजुल कर रहेंगे हमारी वजह से दूसरों को तकलीफ ना हो इस बात का ख्याल रखेंगे जितनी श्रद्धा मेरी खुद की बातों में है उतनी श्रद्धा मेरे दूसरों की बातों में भी रहनी चाहिए। उसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हर धर्म और दूसरे के देवी देवताओं का सम्मान करना भी हमारा कर्तव्य है।
बातों पर आई प्रतिक्रिया
तो वही मोहन भागवत जी के बातों की प्रतिक्रिया भी सामने आई अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि मंदिर और मस्जिद का संघर्ष एक सांप्रदायिक मुद्दा है, और जिस तरह से यह मुद्दे उठ रहे हैं कुछ लोग नेता बनते जा रहे हैं अगर नेता बनना ही इसका मकसद होता तो इस तरह का संघर्ष उचित नहीं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी भागवत के काहे का हवाला देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि आरएसएस के मोहन भागवत कहते हैं कि कौन अल्पसंख्यक है, और कौन बहु संख्या यहां सब बराबर है इस देश की रेट यह रही है, कि यहां सब अपनी मर्जी से पूजा अर्चना कर सकते हैं हमें सिर्फ सौहार्द से रहने और कानून का पालन करने की जरूरत है।